Aapka KBH

     

(This is a letter to Aamir Khan and team at Satyameva Jayate by fictitious Dr. KBH. Any resemblance to real people, living or dead, is purely coincidental. If you do not like sarcasm, read this at your own peril).  

         क्या यार आमिर & टीम? और कोई काम-धंधा नहीं है क्या?  पहले रंग दे बसंती, फिर तारे ज़मीन पर, 3 Idiots, और अब सत्यमेव जयते ! क्यों नहीं लोगों को चैन से जीने देते ? क्यों ऐसे मुद्दे लेके आ जाते हो समाज के जो (कुछ) लोगों के रातों की नींद उड़ा दे?  क्यों हमारे ‘culture’ को ख़तम करने पे तुले हो ? वही – हमारे ‘चलता है, चलने दो” culture को |

               वैसे एक बात की तो दाद देनी पड़ेगी – क्या power है आमिर खान brand की ! कितने NGOs ने हमारे business को ख़तम करने की कोशिश की, कितनों ने मुक़दमे चलाके हमें फँसाने की कोशिश की – सब मुश्किलें हमने हँसते-हँसते झेलें, अरे सबको ठिकाने लगा दिया (बस cases को ठिकाने लगाया, लोगों को नहीं ! वैसे ठिकाने तो हम सिर्फ अजात लड़कियों को लगाते हैं अपने clinic में) | एक आप आ गए अपना शो सत्यमेव जयते लेके, तो बस शुरू हो गयी गली-नुक्कड़ों में discussion; यहाँ तक की अब अपने ही बच्चों से आँख मिलाना दूभर हो गया है | peer-pressure है उनको – कहते हैं उनके friends ताने देते हैं यह कहकर  कि तुम्हारे parents clinic में यही घिनौना काम करते हैं (जी, सही अनुमान लगाया – हमारी अर्धांगिनी भी डॉक्टर हैं | एक सच्चे भारतीय नारी की मिसाल – सब कामों में पति की सहायता करती हैं)|

               अब बताइए हम जैसे समाज-सेवी के काम को घिनौना कहके धुत्कारना ! हाँ, तो इसी बात पे मैं यह चिट्ठी लिखने पे मजबूर हो गया हूँ – अगले किसी episode में बात को ज़रूर clear कर दीजियेगा | हमारा मानना है कि कन्या भ्रूण हत्या का काम एक तरह की समाज-सेवा है | अरे, चौंकिए मत ! हमारा यह भी दावा है  कि मसले की तह तक जाने के बाद आप भी इसे सराहेंगे  –    क्या है न कि  एक लड़की को जनम से लेके मरते दम तक इतने सारे मुसीबतों का सामना करना पड़ता है कि हमें  तो लगता है कि उन्हें जनम से पहले ही मार के हम उन्हें एक तरह से राहत ही दिलाते हैं |

1) (Female infanticide)  जन्म ले भी लिया तो क्या फ़ायदा कोशिश तो कई लोगों कि यही रहती है कि किसी तरह से बला टल जाए – चाहे  ज़हर देकर या   दांत से काटके या cigarette से जलाके या दीवार से पटक के |

2) (Discrimination) चलो, यह माने कि वह बच भी जाती हैं, तो घर पे ही उसे हर पग पे  उसके लड़की होने का एहसास कराया जाता है : खाने-पीने से, शिक्षा से लेके vaccination/ स्वास्थ्य – हर जगह एक लड़की की ज़रूरतें एक लड़के से पीछे ही रखते हैं उसी के खुद के माँ-बाप |

3) (Sexual Harassment) – कितनी आसानी से eve teasing के नाम पे कमेन्टबाज़ी से लेके अश्लील छेढ्ने तक,  acid-attack से लेके मौत के भी शिकार हो जाती है लड़कियाँ; कोई उन्हें बचाने की हिम्मत भी जुटाएं तो भई वोह भी तैयार हो जायें अपनी बलि चढ़ाने के लिए |

4) (Sexual Violence/Rape) लड़कियां कहाँ सुरक्षित हैं? कोई एक जगह आप गिना सकते हैं? घर(1, 2, 3) से लेके मोहल्ले में, स्कूल (1, 2) से लेके hospital, road से लेके Mall, train से लेके Pub  – कहीं नहीं!

5) (Honour killing) अपना जीवनसाथी चुनने का हक़ तो खैर कितने लड़कों को भी नहीं है, लड़कियों की तो बात ही क्या है! तो इसलिए उन्हें भी पाल-पोसकर बड़ा तो कर लेते हैं, लेकिन जहाँ यहाँ-से-वहां शादी कर ली, तो बस पड़  गए उनकी जान के पीछे (1, 2) – आखिर ‘इज्ज़त’ का सवाल है!

6) (Dowry deaths) कानून जाए भाड़ में ! हर एक घंटे में लड़कियों को दहेज़ के लिए मारना कोई हमसे सीखे ! दहेज़ खुले आम लिया-दिया जाता है; कम हो तो मार दो इसे ; दूसरी मिल ही जायेगी |

7) (Domestic abuse) लड़की चाहे पढ़ी-लिखी हो, चाहे अनपढ़ | चाहे पैसेवाले घर से हो या गरीब | चाहे शहर की हो या गाँव में रहने वाली | घरेलू हिंसा का शिकार कोई भी हो सकती है – शारीरिक, मानसिक, मौखिक, आर्थिक हिंसा का |

वैसे तो हमारे क्लिनिक  की दीवार पे माँ सरस्वती, माता लक्ष्मी – सब मौजूद हैं| लेकिन कथनी और करनी में फर्क रखने वाला मैं कोई दुनिया का पहला इंसान थोड़े ही हूँ ? ऐसा कीजिये आप एक country-wide poll ले लीजिये सब लड़कियों की, किसने ऊपर दिए गए किसी भी स्थिति का सामना नहीं किया होगा life में एक बार भी ? हमारा पूरा विश्वास है कि आपको आपका जवाब मिल जायेगा और यह भी यकीन हो जायेगा कि मेरा काम समाज-सेवा ही है |

आपका Dr. KBH (Kul Bhushan Holkar , कुल भूषण होलकर)
PS :  वैसे हमारी निंदा करने वाले KBH को ‘कन्या भ्रूण हत्यारा‘ कहते हैं |